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Showing posts from April, 2018

छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी

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कहानी  छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी की, कहानी राज्य निर्माण की। 5 अगस्त 1980, रायपुर शहर का वो दिन, जब सभी कार्यालय, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सभी जगह के नाम की पट्टियों, सूचना पटल और बोर्डो को काले रंग से पोत दिया गया। जगह -जगह लिखे गए नारों में बस यही जिक्र था कि “सारे काम-काज छत्तीसगढ़ी भाषा मे ही किया जाए”। यहां तक कि आकशवाणी से समाचार भी छत्तीसगढ़ी में ही प्रसारित किया जाए। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म से लेकर वेटिंग रूम तक सारी पट्टियां काले रंग में रंगी हुई थी। कड़ी सुरक्षा के बाद भ ी जिलाधीश के निवास और कार्यालय में लगे उनके नेम प्लेट भी काले रंग से पुती हुई थी। तब शहर में सबसे बड़ी चर्चा का विषय था की, यह सारे काम किसने किये है ? इस घटना की सच्चाई तो उस समय सामने नही आई, पर सरकार और जनता जानती थी कि यह काम “छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी” के लोगो ने रातों-रात किया है। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने यह काम इतने सफाई से किया कि किसी को भनक तक नहीं लगी। रंगे हाथ पकड़ना तो दूर रातभर चल रहे काली पुताई के काम में न तो लोगों ने किसी को देखा न ही कुछ सुना। अगर किसी ने देखा भी होगा तो कहीं न कहीं वो भ...

छत्तीसगढ़ का इतिहास_भाग :1

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छत्तीसगढ़ का इतिहास इतिहास को तीन कालखण्डों में विभक्त किया जाता है : प्रागऐतिहासिक :  इसमें पाषाणकालीन सभ्यता आती है  आद्यऐतिहासिक : इसमें सिंधुघाटी सभ्यता आती है ( छत्तीसगढ़ में नहीं पाया गया है  ) ऐतिहासिक : वैदिक काल से वर्तमान तक  छत्तीसगढ़ में पाषाणकाल  पाषाण घेरे  पाषाण काल में शवों को दफनाकर उसके चारो ओर  पत्थर के घेरे लगा देते थे जिसे ही पाषाण घेरा कहा जाता है।  छग में पाषाण घेरे कोंडागांव के गढधनौरा में जबकि बालोद के करही भगर , चिरचारी व सोरर में मिले है।   छत्तीसगढ़ में वैदिक काल  छत्तीसगढ़ में महाकाव्य काल  रामायण काल  महाभारत काल  1. रामायण काल  2. महाभारत काल