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Showing posts from 2017

बस्तर नृत्य नाट्य : माओपाटा

छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित बस्तर भू-भाग आदिवासी बहुल क्षेत्र है जो सांस्कृतिक रूप से बहुत ही समृद्ध है।  आदिवासियों में गोंड, भतरा, हलबा, मुरिया, झोरिया, घुरवा(परजा), दंडामी माड़िया, दोरला तथा अबुझमाड़िया जनजाति प्रमुख हैं। बस्तर के घोटुल मुरिया जनजाति में एक नृत्य नाट्य विद्यमान है जिसे माओपाटा कहते है। गोंडी भाषा में माओ का अर्थ  गौर (बाइसन)  तथा पाटा का अर्थ है  नृत्य।  इन दोनों से मिलकर माओपाटा बना है जिसमे गौर के आखेट कथा नृत्य एवं नाट्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य-नाट्य लगभग 2 घंटे का होता है जिसे आवस्यकतानुसार बढ़ाया-घटाया जा सकता है। बस्तर में फसल बोने से पूर्व तीन से चार गावों के लोग सामूहिक आखेट पर निकलते है जिसे  पादर  कहते है। माओपाटा नृत्य का आयोजन सामान्यतः घोटुल गुड़ी के प्रांगण में किया जाता है। वैसे तो माओपाटा किसी भी ऋतु में किया जा सकता है, परन्तु अधिकतम पारद के दिनों में इस नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस नृत्य  में युवक युवतियां दोनों भाग लेते है परन्तु दोनों के कार्य पृथक-पृथक रूप से विभाजित है। मुरिया युवक...

संसदीय लोकतंत्र में विशेषाधिकार एवं इसका संहिताकरण

विशेषाधिकार से हमारा तातपर्य किसी व्यक्ति या वर्ग के लिए  विशेष अधिकार  से है  जो कि लोकतन्त्र में एक विरोधाभास है। लोकतंत्र में विशेषाधिकार एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है जहाँ सैद्धांतिक रूप से समानता को स्वीकार किये जाने के बावजूद किसी न किसी सन्दर्भ में विशेषाधिकार को अपनाया गया है। भारत के इतिहास में झाँक कर देखा जाये तो राजा और सामंतों के समय से ये विशेषाधिकार अस्तित्व में है  जो आज भी संसदीय विशेषाधिकार के रूप में है। ये विशेषाधिकार कितने सही और कितने गलत है यह एक चर्चा का विषय है।  हाल ही में कर्नाटक विधानसभा द्वारा इसी  विशेषाधिकार  से दो पत्रकारों को 1 साल की कैद और आर्थिक जुर्माना लगाने के बाद यह विषय पुनः चर्चा में आ गया है कि विशेषाधिकार की सीमा क्या है ? संसदीय विशेषाधिकार क्या है ?यह किस प्रकार के अधिकारों का दमन करती है।  संसदीय विशेषाधिकार :  संसद के निर्बाध सञ्चालन के लिए संविधान द्वारा इसके सदस्यों को कुछ शक्तियां और विशेषाधिकार सौंपा गया है। अनुच्छेद 105 और 194 क्रमशः संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए ऐसे अधिक...

भारत-रुस संबंध : वैश्विक परिदृश्य

                                      "सर पे लाल टोपी रुसी फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी " पंक्ति में निहित सार तत्व बेहद संजीदगी से भारत-रूस मैत्री की जो अभिव्यक्ति दे रहे है वह आगे भी रहेगा यह कहना आज के समय में मुश्किल है। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में किसी भी देश की मित्रता उसके निजी हितो के आधार पर निर्धारित होता है और ऐसा ही कुछ भारत और रूस के सम्बन्धो में भी देखा जा सकता है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ये दोनों देश द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर साझा हितों के लिए सक्रिय दिखते है , वही दूसरी तरफ मास्को की बीजिंग और इस्लामाबाद की ओर शिफ्टिंग और भारत की अमेरिका से नजदीकी यह दर्शाता है कि दोनों देशो के बीच प्रतिकर्षण भी बढ़ रहा है। एक ओर  जहाँ रूस ने पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करके भारत के हितों की उपेक्षा की वहीँ भारत भी NSG की सदस्यता नहीं मिलने पर रूस के साथ कूडनकुलन परमाणु परियोजना के 5 वीं  और 6 वीं रिएक्टर यूनिट को विकसित करने से जुड़े MoU को ठन्डे बस्ते में डाल दिया...

छत्तीसगढ़ी लोक गायक : मुण्डा समुदाय

                                     मुण्डा समुदाय का अस्तित्व चालुक्य राजाओ के समय से बस्तर के इतिहास में रहा है। आज भी बस्तर के दशहरा पर्व के प्रमुख विधानों में मुण्डा गायको के द्वारा मुण्डा गीतों का वादन गायन होता आ रहा है। फूल रथ गाथा विजय रथ के सामने हो या मावली परघाव हो या फिर दंतेश्वरी माई के विदाई का विधान हो मुण्डा गायको को सर में पगड़ी बांधे , दस से बीस लोगो का दल , थिरकते झूमते , रंग बिरंगी परिधानों से सुसज्जित अपने हाथो में डमरूनुमा वाद्ययंत्र लेकर , हाथो से ताल देते , तालबद्ध गीतों के माध्यम से देवी की वंदना गाते देखा जा सकता है।  वर्तमान में जगदलपुर से 13 किलोमीटर दूर पोटानार में इनका बसाव है। कहा जाता है कि इनके पूर्वज झारखण्ड से यहाँ आकर बस गए और राज घरानो के संपर्क में आकर राजाओ का यशगान करने लगे। इनके  द्वारा उपयोग में लाये जाने वाला डमरूनुमा वाद्ययंत्र को मुण्डाबाजा कहा जाता है और गाये जाने वाले गीतों को मुण्डागीत कहा जाता है। झारखण्ड में इन...

One Belt One Road (OBOR) और भारत की नीति

                                                                           हाल ही में हमने चीन के OBOR  प्रोजेक्ट के बारे में समाचार के माध्यम से सुना ही है। चीन इस प्रोजेक्ट द्वारा अफ्रीका यूरोप और एशिया को आपस में जोड़कर एक आर्थिक गलियारा बनाने की बात कह रहा है। उसके अनुसार यह गलियारा संसाधनों से परिपूर्ण पूर्वी एशिया को विकसित यूरोप से जोड़ने के लिए बनाया जाना है। इस परियोजना के दो मुख्य तत्व है  :  पहला  सिल्क रोड इकनोमिक बेल्ट (SREB)  जो प्रशांत महासागर को बाल्टिक सागर से जोड़ता है और दूसरा  मेरी टाइम सिल्क रोड   जो पूरी तरह से चीन, मध्य एशिया , यूरोप व रूस को एक साथ लाने तथा चीन को अरब की खाड़ी एवं भूमध्य सागर से मध्य व पश्चिम एशिया के द्वारा जोड़े जाने पर केंद्रित है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस परियोजना ने काफी हलचल पैदा की है। आइये इसी हलचल के बारे मे...

छत्तीसगढ़ी विवाह संस्कार

अन्य सभी संस्कारो में विवाह संस्कार का छत्तीसगढ़ में अपना अलग ही है। पुराने समय की बात कि  जाये तो छत्तीसगढ़ में विवाह का कार्यक्रम पांच दिनों का होता था और आज भी कई जगह यह परम्परा जारी है। इन पांच दिनों में विभिन्न प्रकार के रस्मो  को पूरा किया जाता है। आइये इन रस्मो के बारे में कुछ चर्चा की जाये : चुलमाटी की रस्म  पहले दिन चुलमाटी की रस्म पूरी की जाती है।  इस रस्म की अपनी विशेष और आध्यात्मिक महत्व है। यह रस्म  कुंवारी मिट्टी लाकर की जाती है। घर की स्त्रियाँ ढेड़हीन (सुवासिन ) नए वस्त्र पहनकर देवस्थल या जलाशय के पवित्र स्थान में जाकर सब्बल से मिट्टी खोदने की रस्म पूरी की जाती है।                                                                                                          ...

पेरिस जलवायु समझौता और अमेरिका का रुख

" बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी आती है " यह पिछले कई दशको से अमेरिका का धयेय वाक्य रहा है।  लेकिन पुरे विश्व को सँभालने की नैतिक जिम्मेदारी ओढ़कर अपनी चौधराहट चलाने वाला अमेरिका , वर्तमान में विश्व की एक बड़ी समस्या और अपनी एक बड़ी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है।  दरसल विश्व पर्यावरण दिवस के कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने पेरिस जलवायु समझौते से हटने का निर्णय लिया है।                                                                                                         ...

Philosophy

दर्शनशास्त्र   मुखयतः दर्शनशास्त्र(Philosophy)  दो शब्दों से मिलकर बना है : 1. Philos/ प्रेम  2. Sophia/ज्ञान  अर्थात  ज्ञान के प्रति प्रेम  ही दर्शनशास्त्र है।  दर्शन  =देखना                    ⤷कैसे देखना? = 1. इन्द्रियों से  2. अन्तरात्मा से                    ⤷किसको देखना? = 1. भौतिक जगत को  2. परम तत्व को                    ⤷क्यों देखना? = 1. भोगार्थ  2. मोक्षार्थ  अर्थात  मोक्ष प्राप्ति हेतु परम तत्व का आत्म साक्षात्कार करना  ही दर्शन है।   परंपरागत रूप से                ↓        दर्शनशास्त्र                ↓                जीवन और जगत →↱  प्रारंभ / मूल तत्व       ...